आत्मनिर्भर भारत - स्वतंत्र भारत (Essay Competition)


आत्मनिर्भर भारत - स्वतंत्र भारत


जब मैं अपने अधिकारों का प्रयोग करता हूं तो मुझे आत्म-निर्भर भारत के निर्माण में अपने कर्तव्यों का पालन करना नहीं भूलना चाहिए।


स्वावलम्बन अथवा आत्मनिर्भरता दोनों का वास्तविक अर्थ एक ही है – अपने सहारे रहना अर्थात अपने आप पर निर्भर रहना | ये दोनों शब्द स्वयं परिश्रम करके, सब प्रकार के दुःख –कष्ट सह कर भी अपने पैरो पर खड़े रहने की शिक्षा और प्रेरणा देने वाले शब्द है| स्वावलम्बन की एक झलक पर न्योछावर 'कुबेर का धन' यह लोक प्रसिद्ध उक्ति स्वावलंबन की महत्ता को प्रकट करने में समर्थ है। सुवावलम्बी व्यक्ति को सही अर्थों में आदर्श व्यक्ति की संज्ञा दी जा सकती है। ऐसे व्यक्ति का परिचय देते हुए सुप्रसिद्ध कवि 'अयोध्या सिंह उपाध्याय हरिऔध' लिखते हैं।


देख कर बाधा विविध हुए विघ्न घबराते नहीं।

रह भरोसे भाग्य के दुख भोग पछताते नहीं।।


पर्वतों को काटकर सड़क बना देते हैं वे 

सैकड़ों मरुभूमि में नदियां बहा देते हैं वे।।

गर्भ में जल राशि से बेड़ा चला देते हैं वे।

जंगलों में भी महामंगल रचा देते हैं वे।


भाग्य भरोसे रहने वाले व्यक्ति प्राय आलसी होते हैं ।स्वावलंबी व्यक्ति आलस्य को दूर से प्रणाम करता है। गांधी जी ने कहा है कि वही व्यक्ति सबसे अधिक दुखी है जो दूसरों पर निर्भर रहता है मनुस्मृति में कहा गया है -जो व्यक्ति बैठा है उसका भाग्य भी बैठा है और जो व्यक्ति सोता है , उसका भाग्य भी  सो जाता है। अतः सांसारिक दुखों से मुक्ति पाने की रामबाण दवा है स्वावलंबन।

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भारत को आत्मनिर्भर राष्ट्र बनाने का सपना है।हमारा देश संसाधनों की दृष्टि से एक समृद्ध देश है और हमारा देश इतना सक्षम भी है कि हर वस्तु का उत्पादन स्वयं कर सकता है। बस इसके लिए इच्छाशक्ति और कार्यकुशलता चाहिए ।किसी भी तरह की निर्भरता की गुलामी ही है ,क्योंकि हम जिस पर निर्भर होते है उसके अनुसार कार्य करना होता है उसकी शर्तों को मानना होता है। जो आत्म निर्भर होता है वह अपने निर्णय खुद लेने में सक्षम होता है और पूरी तरह स्वतंत्र होता है।


देश के प्रति हमारा कर्तव्य।


हम कह सकते हैं कि, कर्त्तव्य किसी भी व्यक्ति के लिये नैतिक या वैधानिक जिम्मेदारी हैं जिनका पालन देश के प्रत्येक और सभी नागरिकों को अपनी नौकरी या पेशे की तरह करना चाहिये। अपने राष्ट्र के लिये अपने कर्तव्यों का पालन करना एक नागरिक का अपने राष्ट्र के प्रति सम्मान को प्रदर्शित करता हैं। हर किसी को सभी नियमों और नियमन का पालन करने के साथ ही विनम्र और राष्ट्र के प्रति जिम्मेदारियों के लिए वफादार होना चाहिए।


एक व्यक्ति के लिये राष्ट्र के प्रति बहुत से कर्त्तव्य होते हैं जैसे: आर्थिक विकास एवं वृद्धि, साफ-सफाई, सुशासन, गुणवत्ता की शिक्षा, गरीबी मिटाना, लिंग समानता लाना, वोट डालने जाना, स्वस्थ्य युवा देने के लिये बाल श्रम को खत्म करना और भी बहुत से। इन सभी कर्तव्य का पालन कर अपने देश को आत्मनिर्भर बनाने का संकल्प लेना चाहिये। कुछ पंक्तियों से मैं इस निबंध को समाप्त करना चाहूंगा। 


पूरे विश्व में भारत का हो मान, आत्मनिर्भर होना है हमारी पहचान.


लोगों को आत्मनिर्भरता का पाठ पढ़ाना है,

लोगों को स्वदेशी वस्तुओं के लाभ बताना है,

आर्तव्यवस्था में सबको भागीदारी निभाना है,

हम सबको यथासंभव स्वदेशी ही अपनाना है।।


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